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लेखनी प्रतियोगिता -20-May-2022 दिल का मेला

मेरे दिल में लगता है रोज

ख्वाहिशों का एक मेला 
जहां किसम किसम की 
चाहतों की दुकानें हैं 
इच्छाओं के शामियाने हैं 
हर गली हर मोड़ पर 
जज्बातों के अफसाने हैं 
हुस्न के झूलों में झूलना है
इश्क के दरिया में तैरना है
कुछ कसमें वादे करने हैं 
मुलाकातों के कुछ झरने हैं 
पलकों की चिलमन से उजाला है
ये दिल भी एक शिवाला है 
मुस्कुराहटों की आरती सजती है 
अंगड़ाइयां करवटें बदलती हैं 
जिस दिन तेरा दीदार हो जाये 
उसी दिन ये दिल गुलजार हो जाये 
हर सुबह उम्मीद सी सुहानी है
हर शाम तेरी तरह बड़ी तूफानी है 
तेरे इशारों की भूलभुलैया है 
एक तू ही तो मेरी खिवैया है 
इस मेले में तुझसे ही बहार है 
दिल कहता है कि तुझसे ही प्यार है 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
20.5.22 

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9 Comments

HENA NOOR AAIN

23-May-2022 03:15 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

21-May-2022 04:19 PM

बेहतरीन रचना

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Neelam josi

21-May-2022 03:22 PM

Very nice 👍🏼

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